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( १६८ ) हुआ कि शिवपुराण वेदव्यासजीकी बनाई हुई लिहिं तो वेद व्यासको हुये अनुमान ५हजार वर्ष कहते हैं तो जवभीनी इंडियेही थे संवेग नहीं थे क्योंकि शिवपुराण ज्ञान संहिता अध्याय २१ के इलंक २१, ३ में लिखाहै ॥
मुण्ड मलिन वस्त्रंच कुंडिपात्र समन्वितं दधानं पुञ्जिकहाले चालयन्त पदेपदे ॥२॥
अर्थ-सिरमुण्डिन मैले रजलगेहय) वस्त्र काटके पात्र हायमें ओघा पग २ देखक चलें अयात आघेसे कीडी आदि जंतुओं को हटाकर
पयरमव ।।
__ बस्त्र युक्तं तथा हस्तं क्षिप्यमाणं सुम्बे लगा
मानव्याहरन्ततं नमस्कृत्य स्थितं हरे ।।३।। अय-मुख वस्त्रका (मखरनी) करकंडक्नेहए मा मुखको तथा कि कारण मुबान र