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( १६८ ) ठीक तव अनुमान दिन १५ चर्चा करते रहे ज्येष्ठ वदि पंचमी को मिम्बरों ने राजा की आज्ञा से गुरुमुखी अक्षरों में विज्ञापन छपा कर फैसला दिया पृष्ट ३ पं० २१।२२।२३ में कि हमारी रायमें जो भेष और चिन्ह जैनियों के शिव पुराण में लिखे हैं वे सब वही हैं, जो इससमय दंडिये साधुरखते हैं दरअसल इबतदाई चिन्ह रखने ही उचित हैं, अबदेखिये इसमें तो पुजेरों की पराजय हुई फिर देखो हठवादी अ. पनी जड़बुद्धि को आत्मानन्द मासिक पत्र में प्रकट करते हैं कि तुम सच्चे हो तो छः प्रश्नों का उत्तर छपाके प्रकट करो भलाजी जिसचर्चा का फैसला छप के प्रकट हो चुका उस का उत्तर बाकी भी रहता है अब (वार २) करने से क्या होता है और इसमें यहभी सिद्ध