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( १२६ ) में भी व्याह के समय कुमार कुमारीको स्नान कराके कुछ दान देते हैं (वारा फेरा करते हैं) तथा नवग्रह बलिर्यथा (ग्रह आदिक का बल उतारने को भी दान करते हैं) इत्यादि तथापि कहीं,२ टीका टब्बामें रूढिसे कय बलि कम्मा का अर्थ घरकादेवपूजा लिखा है फिर पक्षपाती उसका अर्थ करते हैं कि श्रावकों का घरदेव तीर्थंकरदेव होता है और नहीं सो यह कहना ठीक नहीं क्योंकि तीर्थकरदेवघरके देव नहीं होते हैं तीर्थंकरदेवतो त्रिलोकीनाथदेवाधि देवहोते हैं घरकेदेव तो पितर दादे यां,बाबे,भूत यक्षादि होते हैं, यथाकोईकुलदेवी(शाशनदेवी) कोईभैरूक्षेत्रपालादिपूजते हैं। पूर्वपक्षी-श्रावक नेतोकिसीदेवकासहायनहींवंछना।उत्तरपक्षीसहायवंछना कुछऔरहोताहैकुलदेवकामानना