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नवाने बानि
हो । उपक्षी-हानिहाय में कहीं नहीं कहा है तुमनन रोहित उजहरण (हवाले के बुनि पूजा के भारत में विवान कराते हैं।
पक्षी-अजी वाह कल्ति बात नहीं है देखो निनीय का पाठौरपथ लिख दिलातेहैं. (कारपि जिगायहि मंडिया तब सेयणिवह दाणाइ वरच्यणं.लहो गच्छेजचं जाय॥
अर्थ-जिन नकान अर्थात् मंदिरों करके मंडितकालबमदिनी अर्थात् संपूर्ण भूमंडल को मंदिरों करके भरदे (रच दानादि चार करके अर्थान् दान ील तप भावना. इन चारों के कनिने श्रावक जाय अच्युत १२में देव लोक तक।
उत्तरपक्षी-इस पूर्वोक्त पाठ अर्थ को तुम