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अंतर दृष्टि से देखो और सोचो कि इसमें मंदिर वन वाने का खण्डन है कि मण्डन अपितु साफ खण्डन किया है । पूर्वपक्षी है यह कैसे ॥
उत्तरपक्षी - कैसे क्या देख इस पाठ में मूर्ति पूजा के हठ करने वालों को मंदिर आदिक के आरंभ को न कुछ दिखाने के लिये मंदिर को उपमा वाची शब्दमें लाके दान, शील, तप, भावनाकी अधिकता दिखाई है, अर्थात् ऐसे कहा है कि मंदिरों करके चाहे सारी पृथ्वी भरदे तो भी क्या होगा दान शील तप भावना करके श्रावक १२ में देव लोक तक जाते हैं।
पूर्वपक्षी - उपमा वाची किस तरह जाना । उत्तरपक्षी - यदि उपमा वाची न माने तो ऐसे सिद्ध होगा कि किसी श्रावकको १२ मा