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( १२० ) ऐसे उपदेश करते हैं सर्व प्राणी सर्व भूत सर्व जीव सर्व सत्त्व को अर्थात् स्थावर जंगम जीवों को मारना नहीं ताड़ना नहीं बांधना नहीं तपाना नहीं प्राणों से रहित करना नहीं यही धर्म शुद्ध है ) नित्य है शाश्वत है, सर्व
लोक केजाननेवालोंनेऐसा कहा है ॥इति ॥ __और दूसरा बड़ा दोष मिथ्यात्व का है,क्यों कि जड़ को चेतन मान कर मस्तक झुकाना यह मिथ्या है यथा सूत्र :
(जीवेऽजीव सन्ना,अजीवे जीव सन्ना)इत्या दीनि अर्थ जीवविषय अजीवसंज्ञा अजीवविषय जीव संज्ञा, अर्थात् जीव को अजीव समझना अजीव को जीव समझना इत्यादि १० भेद मिथ्यात्वके चले हैं। __ (२१)पूर्ववक्षी-महा निशीथ सूत्रमें तो मंदिर