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( ११२ ) लाभ के लिये, सो सम्यक्त शल्योद्वार पृष्ठ २४२ पंक्ति १९ । २२में लिखते हैं कि देवयं चेइयं का अर्थ तीर्थंकर और साधु नहीं अर्थात् तीर्थकर को तथा साधु को नमस्कार करे तो यों कहे कि तुम्हारी प्रतिमा की तरह (वत् ) सेवा करूं इति अब समझो कि (देवयं चेइयं) इस पाठमें देवयंसे देव और चेइयं सेमूर्ति(प्रतिमा) अर्थ किया परंतु तरह (वत्) अर्थात् यह उपमावाचीअर्थ कौनसे अक्षरस सिद्ध किया सो लिखो यह मन कल्पित अर्थ हुआ कि व्याकरणकी टांग अड़ी फिर और अज्ञताकी अधिकता देखोकि वंदना तो करे प्रत्यक्ष अरिहतको और कहे कि प्रतिमाकी तरह तो अरिहतजीसे प्रतिमा जड़ अच्छीरही क्योंकि उपमा अधिक की दीजाती है यथा अपने सेठ (स्वामी) की