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सामिलापति ननन का नंगल देवयं चेझ्यं पल्लव सानि नगरवानिः १
अर्थ-निवार वक्षिणा करने वेदना करके नमस्कार का मला जे मनमान करने कल्याणकारवर नान अन्तिदेवी अथवा गुरुब की जयं नान ज्ञान गन की संवकरचे मस्तक निनाने वंदना नर्ग इत्ययं और यह मूर्ति पूजक असन्मानानन नाम्वर्ग अपने बनाय सत्यजनाधार पाये में विक्रनलंवत् १९९० के बारे का जिम काडी की की हुई गगन्धा का २० वर्षमा बलभ विजय नया उसवतराय ग्रहोंने १९६० में लाहौर में पर छपवा उमाली है, अपना और अपने मतानुयायियों का भमति और नुन पनि तार करने के च्चेि और अनन्त तार के