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( २ ) अर्थात् असन १ पान २ खाद्यम् ३ स्वाद्यम् ४ मयं ५ मासं ६ मधु७ सिंधु ८ पसन्न ९ बहुत प्रकार के भोजन इत्यादि और जहां श्रावक आदिक दयावानोंके कलों में जीमणका (जयाफतका) कथन आता है वहां ४ प्रकार का आहार लिखा है यथा महावीर स्वामी जी के जन्म महोत्सव में महावीर स्वामी जी के पिता सिद्धार्थ राजा ने जीमण किया है, वहां कल्पसूत्र के मूल में ऐसा पाठ है (असणं,पाणं खाइमं, साइमं,उक्खडावेइरत्ता) परन्तु द्रौपदी जीके जिनमंदिर पूजनेका पाठ तो खुलासा है।
उत्तरपक्षी-पाठ भी लिखदिखाओ। पूर्वपक्षी-लो (तएणं सादोवइ रायवरकन्ना जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ मज्जण घर मणुप्पविस्सइ एहाया कयवलिकम्मा कय