________________
लिखा जायगा और इस पूर्वक कथन की स-- बूती यह है कि सूत्र उवाईजी में पूर्ण भद्र यक्षके यक्षायतन अर्थात् मंदिरका और उसकी पूजाका पूजाके फलका धनसंपदादिका प्राप्ति होना इत्यादि भली भांति सविस्तार वर्णन चला है और अंतगढ़जी सूत्रमें मोगर पाणी यक्ष के मंदिर पूजा का हरणगसेषी देवकी मूर्तिकी पूजा का और विपाक सूत्र में जंबरयक्ष की मूर्ति मंदिर का और उस की पूजाका फल पुत्रादि का होना सविस्तार पूर्वोक्त वर्णन चला है परन्तु जिनमदिर अर्थात् तीर्थकर देवजीकी मूर्ति के मंदिरकी पूजाका कथन किसी नगरी के अधिकारमें तथा धर्मप्रवृत्ति के अधिकार में अर्थात् जहां श्रावक धर्मका कथन यथा असुक श्रावक ने अमुक तीर्थकर का मंदिर बनवाया