SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विजयनगर के मालुम गज ५९ विजयनगरके सालुव एवं अन्य राजवंश और उनके शासनकालमै जनधर्म । संगम व सालुव राजनरेश । विजयनगर संगम-वंशके राजामौके पथ त सालु शके रामाबौने शासन किया था। संगमवंशकी ओरस वंश बालों को दक्षिणका शासन-प्रबन्ध सौंग गया था। प्रारम्भसे ही संगमवंशका इन नामोसे घनिष्ट सम्म का। यहांतक कि प्राट् देवराय द्विाने अपनी बहन हिरियादेवीका विवाह सालुा-नरेश तिरसे किया था और टेक नामक पदेश उन्हें प्रदान किया था। संगमवंशके मन्तिम दो रानामोंके समयमें मालुसनरेश नासिंह विजयनगर गज्यके दक्षिण मागमें प्रान्तपति थे । १४ चन्द्रगिरिसे अपना शासन करत थे । मल्लि जुन मोर विरुपाकी शक्ति क्षीण हुई जानकर प्रान्सपतियों में सर्व अवम नरसिंह मालुग्ने गन्य प्रबन्ध अपने हाथमें ले लिया था। इस पकार सालुवंशका राज्य सन् १९८६ से बारम्म हुमा।' सालुवनरेश जैनधर्म । सालुबनरेश मुमतः संगीतपुरके शासनाधिकारी थे और अन.. पर्मको उक्त बनाने के लिये वे हमेशा कटिद्ध रहे। उन गायोंकि ही कुटुंबी देवराव बहनोई तिमालाये। मालम ऐगहोंगरे . १-०, . ५९-६. ०, मा. २११५९. २- र.मा. सं १'पृ. १५९. -
SR No.010479
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages171
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy