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________________ विजयवराबायकाविहासा . किया जायेण। बोरस शासनका संघम करेगा राज्यका (m) संपका भौर (वैष्णप) समुदायका द्रोही अरेगा " TRAसनका परिणाम यह हुमा कि जैन और वेष्णा प्रेमपूर्वक मने हो नही गे; बहिक एक दुसरेके पार्मिक कार्यों में सहयोगी मी हु क्योंकि इसी सके अंतमें लिखा हुमा कि लडके विसेहीके पुत्र बमुविसट्टिन बुकरायको प्रार्थनापत्र देकर तिरुमले के बारे बुलाया और उक्त शासनका जीर्णोद्धार कराया था। जैन और वैष्णबौने मिलकर बसविसट्टोको · संघनायक' को पदवी प्रदान की थी। जैन और वैष्णयोंन एक सारस जैनधर्म की जय' का नारा लगाया गा। यानोंसे धर्मायतनोंकी रक्षाके लिए दोनों ही सम्पदामा करिषद्ध होगये थे और मापसी वैमनस्यको भूककर संगठित हुये थे। ___ राष्ट्रीय संगटन और मतसहिष्णुता। साम्प्रदायिक ताका बन्त काके पार संगठन कानेकी उस भावना उa समय वैष्णव, शै. जैन-सभी के होम हिकरेले सी थीं । यानोंस अपने धर्म और देशकी क्षा कानेका बोस होम उमड़ा हुजा था। इसका उदाहरण करामल्लिकी शान्ती बस्तीक म्यंम लेबमें दबनेको मिलता है। उसमें कहा गया है कि "धमादि योग गुणकि धारक. गुरु और देवोंक भक्त, कलिकाकी कालिमाक प्रशासक का सिद्धान्तके गनुयायी, after किया. गोके विधायक सात करोड़ मोहदोन एकत्रित संप, देखोगल, पुस्तक गाके सम्पल सिम्यको पोटि विमान १-शिसं., भूमिका • १.२..... .
SR No.010479
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages171
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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