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८५] संक्षिस बैन इतिहास। लिये मोग' देनेका' भी लेख हिंदू मंदिरों में बमोगका स्मा
है। किन्तु इसके साथ ही, यह बात नहीं मुबई जा सकती कि उस समुदार कामें नियों की मान्यताओं का प्रभाव भी हिंदुओंरहा था। पट्ट पर्णाश्रमी होते हुये भी, हिन्दुभोंने जोको धर्मका स्थान दिया था, यह नियोंकी समुशार पर्मनीतिका ही परिणाम समझना ठीक है। यही नहीं, हिन्दुओंन बैनी देश देवियों को भी अपनाया था। सिद्ध भगवान और पद्मावतीदेवी उनके निकट पद्माक्षी देवी और सिद्धेश्वर' देव होगये थे। जैन मुनियों के दिगम्बर मेषका प्रभाव शैव भोर वैष्णव साधुनों पर पड़ा था-उन्होंने भी पामहंसवृत्ति' बाण की थी। उनकी मूर्तियां भी पनासन मिनमति मिती जुब्ती बनाई गई थी। जैन ही नहीं, हिन्दुओं . उस समय मुसलमानों का भी असर हुमा था-बनार्दनका एक नाम मला ल नाव' इसी समय रखा गया था। दिलबरखा जैसे मुसमान बा हिन्दू मंदिरोंको दान देते थे, तब यदि मल्लाह' के नामसे हिन्द नपने देशको पुकारने लगे, तो नाचर्य ही क्या ! मत सहिष्णुः शामें ही ज्ञानधर्म चमकता है और मानव अपना मोर पाया हिक सप सकता है।
प्रान्तीय शासक बैनी थे। इस प्रकारकी समुदार धर्म-प्रवृत्तिके काळमें विजयनगरके कतिपय
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1-Ibid. -Ibid. ३- ०, मा. २ पृ. १६-१०। -४-परिणयचा नादि Re | ASM., 1961
P.254-Ibid.t-bid. -Ibids 1911. pp. 150-154