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विजयनगरकी शान म जैनधर्म। 18
memmmmmmm समान विनामकी माना थी। यपि विपत In सार पार्मिक नीति थी, फिर भी वैष्णा मोर शैव जनाको र देते रस्तार से जाते थे। अरुणदेवराय सदर महान् भोर रसर
सनके राज्यका में ही नृशंस पटना घटित हुई थी। कानू बिके भीक नामक स्थानका शासक शान्तपुत्र वीशि धर्मका अनुसार
और भनेकान्तमय (जैनधर्म) का विशेषी ।। सन् १५१२१० प्रकससे स्प है कि उसने श्वेवार नियों का कलेमाम कराम को' लेसमें उसके इस नृशंस कर्मकी गणना उसके धर्मकृत्यों की है। भला इससे ज्यादा और क्या अत्याचार हो सकता था! ऐसे भया स्थिति नाचायोंके लिये धर्मको स्थितना कठिन होस काकहीं कहीं तो बैनधर्मातनों में विनन्द्रपना भी न हो पाती थी।' कहीं-की मदा-सदा सावक माविकानों पर उनके पडोसी विमियों के भावार-विचार का प्रभाव पाता था। जनी उनके देखादेखी गोमूहाने
जाते थे; 4 विनयको ता भी न भूखते थे ! क्ष्मीदेशी मी ई-मिमें बामरी, र मरते दमतक बिनदेव भोर मेन धर्मगुरुले
भूनी ! एलिनाकी चैन पस्किके लेख ०५६ से स्टी कि पोका चौकीदार और उसकी मां बम्प एवं केतिष और उसकी पत्नी चन्दुदेवीने सन्यास मरण किया और कामस्तिलिंगदेवमें जीन हो गये। यहापर कास्तिलिंगदेव' नाम शैव मतके प्रभावको बक करता है- बैनी काम्देवमें विलीन हुए-सर्गवासी हुये' बायो स्थानशिकीन हुहगये। या मिनेन्द्र देवक R-MAHISHAahidiGPALI