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राजा ऐसेच और उसके बैंशन। [४७ राजधानी गी । कई देशोंको जीतकर ऐलेयने धर्मराज्य कया। वृद्धावस्था में वह अपने कुणिम नामक पुत्रको राज्य देकर तपके लिये बनमें चला गया। शत्रुनोंकी संताप देनेवाले राजा कुणिमने विदर्भदेशमें वरदा नदीके किनारे एक कुंरिनपुर नामका नगर बसाया । कुणिमके पश्चात् उनका पुत्र पुलोम गजा हुमा, जिसने पोलामपुर नामका नगर बसाया । इनके पोलोम और चम्म नामक दो पुत्र थे। पुलोमके मुनि होनेपर वे ही गजा हुये। उन्होंने कई गजाओंको जीता था। दोनोने मिलकर रेवानदी के किनारे इन्द्रपुर बमाया और चरमने जयन्ती और वनवास नामक दो नगर प्रथन बसाय ।
उपन्त काल में यह दोनों नगर दक्षिण भाग्नक इतिहासमें खूब ही प्रसिद्ध हुये थे। राजा चम्मका पुत्र संजय और पौलोमका महीदत्त हुआ। उनके उपगम्न वे ही ज्याधिकारी हुये : महतने कल्पपुर बसाया। अरिष्टनमी और माम्य ये दो उनके पुत्र थे। गजा मत्स्यने भद्रपुर और हम्निनापुरको मान लिया और वह मिल नापुर पाकर गज्य करने लगा था। श्रत अयोधन नामका गजा हा. जो मानान 4
रगी '। इन्हा नियमान
. . . . कमी ... ....... ...... 21 को कम्नाद . . . . . . . .ई।
गजा अभिचन्द्रका विवाद प्रबंशम उत्पन्न नी वसुमतीसे हुमा था। इन्हींका पुत्र बसु था; निमन जिहालम्पटना वस हो 'मब' बन्दका अर्थ 'शालि' न बताकर बकम' बताया पौर महोंने