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________________ 38] संक्षिप्त जैन इतिहास | पोदनपुर के एक अन्य राजा सुप्रतिष्ठ थे। यह राजा सुस्थित और गनी सुलक्षणा के सुपुत्र थे । कारण पाकर यह विरक्त होकर सुधर्माचार्य चरण-कमलोंमें मुनि होगये। हरिवंशके महापुरुष अंधकवृष्णि आदिने इन सुप्रतिष्ठ मुनिराज मे धर्मोपदेश सुनकर मुनिव्रत धारण किये थे । मुनिराज सुप्रतिष्ठका शौरसेन देशमें कईबार विहार हुआ था । आखिर वहीं गंधमादन पर्वतपर उन्हें कैवल्य प्राप्त हुआ था और वे मोक्षपद अधिकारी हुये थे। पांडवो के समय में पोदनपुरका राजा चन्द्रवर्मा था । वह राजा चंद्रदत्त और रानी देविका का पुत्र था। राजा द्रुपदके एक मंत्रीने उसके साथ द्रौपदीका व्याह करनेकी बात कही थी। 'भविष्यदत्त कथा' में पोदनपुर के एक गजाका युद्ध हस्तिनापुरके राजा भूपालके साथ हुआ वर्णित है । इस युद्ध पोदनपुर नरेशको पराजित होना पड़ा था। 3 चक्रवर्ती हरिण | त २ नीति गहुये थे। उनका जन्म के नाम की रानी ऐरादेवीकी कोख से हुआ था। भोगपुर संभवतः दक्षिण भारतका * १- उ० ७०-१३७.... २-३० ७९ - २०१... । ३ - वि० संधि १३ ।
SR No.010475
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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