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पोदनपुरके अन्य राजा। [१
पोदनपुरके अन्य राजा। तीर्थकर विमलनाथके समय में गणधर मेरुमंदर और मुनि संजयंत हुये थे। उनके पूर्वभवके वर्णनमें पोदनपुरके राजा पूर्णचन्द्रका उल्लेख है। गजा पूर्णचन्द्रको साकेतके गजा मादित्यबलकी पुत्री हिरण्यवती ब्याही गई थी। उनका पुत्र सिंहचंद्र था।' पूर्णचंद्रकी पुत्री रामदत्ताका व्याह सिंहपुरके राजा सिंहसेनके साथ हुआ था।'
तीर्थकर अनंतनाथके सुप्रम नामक बलभद्र और पुरुषोत्तमनारायण हुये थे। उनके पूर्वभवान्तरों पोदनपुरके राजा वसुमेनका उल्लेख है। वसुमेनकी महारानी नंदा परमपवित्र और अनुपम सुंदरी थीं। वसुसेनका मित्र मलयदेशका राजा चंडशामन था। एकदा यह उससे मिलने आया। गनी नंदाके रूपलावण्यपर वह आसक्त होगया
और किसी उपायसे उसे हरकर वह अपने नगर लेगया। गजा वसुसेन विरक्त हो मुनि होगया।'
राजर्षि बाहुबलीकी ही वंशपरंपगमें उपगंन श्रेष्ठ गजा तृणपिगल हुमा। उमकी पट्टगनीका नाम सर्वयशादेवी था। उनके मधु. पिंगल नामक मुन्दा पुत्र था। अयोध्या के सगाने चालाकीमे उसे दुषित शरीर टहम्बाकर एक स्वयंवरसे निकलवा दिया था। जिस क्रोधको लेकर वह मग और महाकाल नामका व्यंतर हुमा। इस महाकालने अपना र चुकाने के लिये यज्ञमें पशुओंको होमनेकी प्रथाका श्रीगणेश किया था।
१-33० ५९.२०८-९। २ हरि० २७५५ । ३-ठपु० ६०१५०-६७ । ४-उपु. ६७५२२३-२५ ।