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२६] संक्षित जैन इतिहास। लिखा है, जिसे विद्वजन माधुनिक मध्यप्रांत ही प्रगट करते हैं।' अब जब रामगिरि रामटेक है तो भूताचक भी वहीं कहीं होना चाहिये।
हमारे मित्र श्री गोविन्द पै नागपुर डिवीजनके वेतूल जिलेको भूताचल अनुमान करते हैं। उसके आसपास पर्वत हैं और वह अश्मकदेशसे भी दूर नहीं है, जैसे कि प्राचीन भारतके नकशेसे स्पष्ट है। हिन्दू ' मत्स्यपुराण' से एक 'तापस ' नामक प्रदेशका दक्षिणापथके उत्तर भागमें होना प्रगट है, जो यूनानी लेखक टोल्मीका मध्यदेशवर्ती तबमैं' (Tabassoi) प्रतीत होता है। अतः यह संभव है कि कमठ व तापस देशमें स्थित भूताचल या रामगिरि पर्वतपर कुतप तपने गया था। जो हो, यह स्पष्ट है कि पोदनपुरके निकट अवस्थित उपरोक्त पर्वत दक्षिणापथके उत्तरीय भाग विद्यमान थे।
___ अब मलय पर्वत और कुब्जकसल्लकी बनको लीजिये । कनिंघम सा०ने मलयपर्वतको द्राविड़ देशमें स्थित बताया है।' चीनदेशके यात्री व्हान्त्सांगने उमे कांचीसे दक्षिणकी ओर ३००० १-'वेजोश त्रिकलिङ्ग देश....रम्ये रामगिराविंद....।'
-सिमा० ३ पृ. ५३ । २-प्रो० मुकरजीको 'Fundamental Unity of India' नामक पुस्तक में लगा हुमा प्राचीन भारतका नकशा देखो।
३-मत्स्य पुराण (Panini ofice od., S. B.H. Vol. XVII) ch. CXIV.
"-पाए।.पू. ६२७॥