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पौराणिक काल। [२७ मीलकी दूरीपर लिखा है ' वेगवती नदी भी द्राविड़देशमें है।' मलयपर्वतपर चन्दन वृक्षोंका वन था। वहीं कुन्जकसल्लकी वन अनु. मान किया जासकता है । इसप्रकार पोदनपुरके पासमें अवस्थित ये उपरोक्त स्थान भी दक्षिण भारतमें मिलते हैं । पोदनपुर इनसे उत्तरकी ओर होना चाहिये। क्योंकि 'भुजबलि चरित' में उल्लेख है कि गा सेनापति चामुण्डराय पोदनपुर की यात्रा करने के लिये उत्तरकी ओर चलते हुये श्रवणबेलगोल पहुंचे थे।
शेह रहा सुरम्य देश, जिसकी राजधानी पोदनपुर थी । यह देश भी दक्षिणापथमें अवस्थित मिलता है। यूनानी लेखक टोलमीने 'रमनै' (Ramnai) नामक एक प्रदेश मध्यप्रदेशमें लिखा है, जो वर्तमानके मध्यपान्त, वरार और निजाम राज्यके कुछ अंश नितना था। संभवतः यह रमने ही जैनोंका सुरम्य देश है । 'आदिपुराण' में इसीका नाम संभवतः अश्मकाम्यक है :
अब जरा मजेन साक्षीपर भी ध्यान दीजिये। बौड जातकों पोदनपुर अश्मकदेशकी गजधानी कहा गया है तथा 'मुत्तनिरात में मस्सकदेश गोदावरी नदीक निकट सक्य पर्वत, पश्चिमी घाट भौर दण्डकारण्यके मध्य अवस्थित लिखा है। संस्कृत भाषाके कोष वृहदाभिधान्' में पौण्ड्य राजा भइमककी गजधानी कही गई हैं पौर रामायण' (किष्किन्धाकाण्ड, में अश्मक देश भारत के दक्षिण
१-पूर्व० पृ. ७४१ । २-पूर्व• पृ० ७३९ । ३-प्रवणबेळगोट पृ० १०-११। ४-बग माग २२ पृ० २११ ।