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एक अनापारमा प्रवाहिते
(OP (परिबोर ही मंगलसिले व ते हो उसे बना और बारको कोदोकोमा मोजपा को न माला बना।
गोवे बानि और सांकेतिक महस खाती प्रतिपादित किया गया है। मानानक
५०० बार नामा एक मासके तुल्यबसाया है। (जेश मा० ११० १-२)
(२) पहले परिच्छेदमें उपरान्त एक सर्वज्ञ परमेश्वर जिसने कमों पर गमन किया (मकर्मिसहयेगिनान) और जो भावि पुलो तक जो न किसीसे प्रेम करता है और न घृणा एवं जो जितेन्द्रिय है, उसकी बंदना करनेका विधान है। बेन अन्यों भाप्त हो साल बताये गये है उनमें उसे सर्वज्ञ-रागद्वेष गस्ति और वीतराग खास रीतिसे बताया गया है। इस काका मादितीकर, मादिनाय या ऋषमदेव मुख्य बाप्त है। इसी लिये चासोने उन्हें नादि पुरुष भी कहा गया है। कुर्ररू' के रचयिता भी उन्हीं स्मरण करते हैं। वह सर्वत्र तीर्थंकर रूपमें जब बिहार करते थे तब देवेंद्र उनके पग तले कमलोंकी रचना करता जाता था। और यह उसपर गमन करते थे। यह विशेषता जैन तीर्थहरकी खास है। 'कुरल' कर्ता उसका उल्लेख करके अपना मत सष्ट कर देते हैं।
(१) भागे इसी परिच्छेदये 'कुरक' के रचयिता महन्त वा
१-Divinity in Jainism देखो।२-बिसहस्त्र नाम देखो। ३- २९-२५॥