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________________ बान्ध्र-साम्राज्य [११३ बलिथी और पाण्यदेव इससे पश्चिममें थी। वह तीन राज्यही दक्षिण भारतचे प्रमुखये। दक्षिण इन तीनों राज्यों का उल्लेख सम्राट अशोक धर्मः लेखमें हुमा है। और सम्राट् खारवेल के शिलालेख और शिबानेम्व में भी इनका उल्लेख मिलता द्राविड राज्य। है पान्तु साहित्यमें इन तीनों गज्योंका ममित्व एक पनि प्राचीनकालमे सिद्ध राता है। कास्वावन-वातिका में पण्ड्य. चोकमादिका उलेख है। पातदिने इसी प्रकार माहिमनी, बेदर्म काशीपुर भोर कर. बका उल्लेख किया है। महामान' (वनपर्व ११८) में द्राविड़ देशको उत्तरीय मीमाये गोदावरी नदीका उल्लेख है। यूनानी लेम्बको टोल्मी मादिने भी इन देशों का उलम्ब किया है।' ___ उपर अन साहित्यसे भी च. चीन और पाण्ड्य राज्योंका प्राचीन अस्सिव प्रमाणित है। महागा जैन साहित्य में कृष्ण युद्ध, जब जा सिंधुमे हाहा था द्राविड़ राज्य। दवड देके गजा भी उनके पनमें थे। मादा होता है कि प.प्टोक दक्षिण मधुगमें राज्य स्थापित न कण उन राज्यों। सम्पर्क उत्तर भाग्नीय राज्योंमे घनिष्टनामे : गित होगया था। चचील. १-कच. पृष्ट २५० । २-३. पृट ११३-११९। ३बविमोसी० मा० ३.४४६ । ४-ग. पृ० १३८ । ५-महामाव्य, १. १, १९। ६-ग• पृ. १३८-१२। -रि.पृ. १६८।
SR No.010475
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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