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११२] संक्ति मेन इतिहास ।
मुदूर दक्षिणके राज्य ।
(द्राविड़-राज्य) गोदावरी और फिर कृष्णा एवं तुभवासे परे दक्षिण दिशामें
जो भी प्रदेश था वह तामिल अथवा द्राविड राज्योंकी द्राविड़ नामसे परिचय माता था। यह सीमायें। द्राविड़ अथवा तामिलदेश तीन भागों
मर्थात् चेर, चोक और पाण्ड्य मण्डलोंमें विभक्त था । पाण्व्यमंडळ 'पण्डि नाडु' नामसे विख्यात् था भोर यह बर्नमानके मदुग जिला जितना था।' शोकके समयमें पांड्य राज्यमें मदुरा और तिनावलीके जिले गर्मित थे। मदुरा उसकी राजधानी थी, मो एक समय समृद्धिशाली बहुजनाकीर्ण बौर परकोटेसे वेष्टित नगर था। पांड्योंका दमरा प्रमुख नगर को ( Korkui) 11
चोलमंडलका दूसरा नाम 'पुनलनाडु' था और युर (उरगपुर) उसकी राजधानी थी, मो वर्तमान में ट्रिचनापली नगर के सान्निकट भवस्थित थी। चोल राजका विस्तार कांगेमण्डक जितना था। पुकर अर्थात् कावेरीकम्पहनन् चोलों। प्रधन बन्दगाह था: प्राचीनकाबमें चम्मण्डलका विस्तार मैलर. कोइ बटी नाम, दक्षिा मावार, दावनमार पौर कोचीन जितना था। इसकी नी कर अथवा
१-जमीसो०, भा० १८ पृष्ट २१३ । २-लामः० ० २८६ । ३-बपीसो०, मा• १८ पृ. २१३ । ४-छाम• पृ० २८६ ।