________________
नन्द और गौर्य सम्राट् । किन्तु मौर्य सम्र टोय चन्द्रगुतका ही समय दक्षिण भार.
तमे विशेष और महत्वशाली गा। सम्राट चन्द्रगुप्त! एक शासक रूपमे ही 48 सम्रार
दक्षिण भारतीयोंके परिचय में बाये देवल इतना ही नहीं बल्कि वह उनके बीच एक पूज्य मायके भेषमें विचरे थे। जैन सत्रों और शिलालेखोंमे प्रगट है कि जिम मःम्राट चन्द्रमान मानक शासन का है ये उस समय उत्तर भारतमे पE भयंकर दुष्काल पड़ा. जिसके कारण लोग प्रात्रि iह कान नंगे ! इस समय जन संघका प्रधान केन्द्र मगर पा और श्रुतवल: भद्रबाहु मोर नाचार्य स्थूलभद्र मंष नेता थे । भदबहुम्न माने इस दुकालका होना अपने दिव्यज्ञानसे. जानकर पहले ही कपन का दिया था। ____ मम्रद नगुन इन बानायो शिष्य थे। उन्होंने जब गुरु भद्राहुनी नुप्रय दुकान ममाचार मुन्नी उनोंने अपने पुत्रका गतिला का दिया और मयं मुनितीक्षा कर श्रुतंकवली साथ हो लिये । भदवाइन्सामी मंरको लेकर दक्षिण मारतकी ओर चके गा। मैमूर प्रांत में श्रवणबेलगोलके निकट टबम पर्वतपर वह ठहर ग्ये, और मंघको आगे चीलदशमें जाने के लिये मादेश दिया। मुनि चन्द्रगुम उनकी वैयावृत्ति लिये उनके साथ रहे थे।
वहीं तपश्ररण करने हुये भद्रबाहुस्मामी स्वर्गवासी हुये थे
१-संबहि, मा०२ बँड १ पृ. २०३-२१८, अब. ३०-३२ वैशिख• भूमिका।