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________________ नन्द मौर मौर्य सम्राट् । [..१ खण्डकी रक्षा प्राचीन पत्रिव-चारित्र-बाय-चन्द्रगुप्त करते थे।' चन्द्रगुप्तने कृष्णा नदी के किनारेपर भी शालममें एक नगर भी बसाया था। किन्तु मालूम होता है कि मोयोको उपगन्त दक्षिण भारतमें मधिकाधिक राज्य विस्तारकी बाकांक्षा हुई थी। तदनुसार मौर्योने तामिल देशपर माक्रमण किया था। मौय्योंके इस भाक्रमणका उल्लेख नामिलके प्राचीन संगम्' साहित्यमें मिलता है। संगम कवि मामूलनार, पानर, प्रभृतने अपनी रचनामोंमें मौर्य-माक्रमणका वर्णन किया है। उससे शात होता है कि दक्षिणके नीनां प्रधान राज्यों-चेर, चोल, और पांण्डयने मिलकर मौयोका मुकाबिल दिया था। ____नामिल मेनाके सेनापनि पाण्डियन्नेदुन्नेलियन नामक महानुभाव थे । मोहरका गजा उनका सहायक था। उधर मौयोंके सहायक वेडुकर अर्थात् नेलुगु लोग थे । तामिळोंमे पहला मोरचा बकर लोगोंने लिया था; परन्तु तामिलोसे वे बुरी तरह हारे थे। इस मयं मौर्य सम्राट् ग्णाङ्गणमें उपस्थित हुये थे और घमासान युद्ध हुआ था; किन्तु वेस्ट पर्वतने मौर्योको मागे नहीं बढ़ने दिया यः । फिर भी यह प्रगट है कि मौर्य मेमर नक पहुंच गये थे । माथ ही विद्वानों का अनुमान है कि दक्षिण भारतपर यह भाक्रमण सम्राट विन्दुसार द्वाग हुमा थी। क्योंकि अशोकने १-सोपस नं० २६३ का शिाख, बो १४ वीं शताब्दिका है। मकु• पृष्ट १० एरि• मा०९ पृष्ठ ९९ । २-जमीसो., माग १८ पृष्ठ १५५-१९६॥ ३-अमीसो., माग २२ पृष्ठ ५.५/
SR No.010475
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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