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________________ १.] संशित के इतिहास । जामोंने कुन्तलदेश पर शासन किया था और कदम्ब बंशके राजा उन्हें अपना पज मानते थे।' कुन्तलदेव भाजकलके पश्चिमीय दक्खिन (Decoan) और उचरीय मैसूर जितना था । दक्षिणमार. तके होसकोट जिलेमें नन्दगुडि नामक ग्राम उत्तुभुज नामक रामाकी राजधानी बताई जाती है और कहा जाता है कि नंदराजा उसके भतीजे थे । उसने उनको कैद कर लिया था; परन्तु उन्होंने मुक्त होकर अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित किया था। परन्तु कहा नहीं जा सकता कि इस जनश्रुतिमें कितना तथ्य है, नो भी यह स्पष्ट कि नंद साम्राज्यका विस्तार दक्षिण भारत तक था। कुंतलदेश नन्दराजाओं के शासनाधीन था ! नन्दराजामों के पश्चात् भारतके प्रधान शासक मौर्यवंशके शासक हुये । चन्द्रगुप्त मौर्य्यने मन्तिम मौर्य-सम्राट्। नंदराजा और उसके सहायकको परास्त. करके मगध साम्र उस पर भग्ना अधिकार जमाया था। उपर पश्चिमोत्तर सीमा प्रांतसे यूनानियों को स्वदे. इकर चन्द्रगुप्तने उत्तर भारतमें अफगानिस्तान तक अपना राज्य स्थापित किया था। और यह प्रगट ही है कि दक्षिण भारत के एक भागको नन्द राजाओंने ही मगध साम्राज्यमें मिला लिया था। इसलिये चन्द्रगुप्तका अधिकार स्वत: उस पदेशपर होगया था। एक शिलालेखमें स्पष्ट कहा गया है कि शिकारपुर तालुकके नाग १-का• ७, शिकारपुर २२९ । २३६, मैकु• पृष्ट ३ व जमीसो. मा. २२ पृष्ठ ५०४ । २-मीसो० मा. २२ पृष्ठ १.५॥
SR No.010475
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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