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समित न इतिहास । करने के लिये रामगृह चला आया था। दक्षिण भारतके देशों उसने बासा भ्रमण किया था।
समुद्र के निकट स्थित मरयाचल पर्वतार वा पहुंचा था । वहां वह सिंहलद्वीप भी गया थ'; नहाम वापिस र वह करल भाया था । द्रविड देशको उसने जैन मंदिगं और नियोंमे परि. पूर्ण देखा था। फिर यह कणांटक का बोज, कांचीपुर, सार्वन, महाराष्ट्राहिये होता हुमा विध्याचलके उप पर मामीर देश, कोहण, किष्किन्धादि पहुंचा था। इस वर्णनसे भी उम समय दक्षग भारतमें जैन धर्मका मस्तित्व प्रमाणिः होता है। ___जम्बकुमार और विद्युञ्च ने अपने माथियों महिन भगवान् सौवर्माचार्यसे मुनि दीक्षा ग्रहण की थी। विशुलाचल पर्वत परमे जब सुधर्मस्वामी मुक्त हुये तब जम्बस्वामी कंवत्रज्ञानी हुई। १-"क्षणस्य दिशा मुझं मलयानाम। पटरादिद्रुमाकोणमनामन म ॥ २१ ॥ भगम्यं 6 सिंहलं देशमुन्न म् दवित् गृहम जनकपरितम् ॥ २६ ॥ वीणं टसंज्ञच कावीर कौतुकानाम् । कांचीपुरं सुकांत्या व कांपनाम मनोहान् ॥१७॥ कागल च समामाघ मह्य पर्वतान्न न् । महाराष्ट्र च वैदर्भदेशं मानावना कम ॥ १८ ॥ विचं नर्मदातर प्रदेश विधान विपाटी समुलध्य तसलिनन ॥ २१९ ॥
-:म्बु. १. १८८.