________________
संमिशन इतिहास। उस समय दक्षिण भारतके केरक देश एक वियापर समा
राज्य करता था। उस मोर विद्याधर केरल विजय। वंशके राजाभोंने प्राचीनकालसे अपना
भाषिपत्य जमा रक्खाया। बस, केरलके उम विद्याधर राजाका नाम मृगांक था। सम्राट् श्रेणिकसे उमकी मित्रता थी। मृगांकपर हंसद्वीप (लंका) के राना ग्लचूनने भाकमण किया था। मृगांककी सहायताके लिये श्रेणिकने जम्बूकमारके सेनापतित्वमें अपनी सेना भेजी थी।
जम्बूकुमारने वीरतापूर्वक शत्रुका संहार किया था। इस युद्ध में उनके हाबसे भाठ हजार योद्धाओं का संहार हुमा था। उपरांत मृगांकने भरनी कन्या विलासवतीका विवाह श्रेणिक के साथ किया था। जब श्रेणिक केरल गये हुये थे तब उनोंने विन्ध्याचल मौर रेवा नदीको पार करके करल नामक पर्वतर विश्राम किया था और वहांपर स्थापित जिन बिम्बोंकी पूजा-अर्चना की थी।'
दक्षिण भारत के इतिहाससे यह सिद्ध है कि प्राचीन काळमें हंसद्वीप (लंका) और तामिळ-पाण्ड्यादि दक्षिण देशवासियों के मध्य परस्पर भाक्रमण होते रहने थे। उधर यह भी प्राट है कि नन्द.
१-'जम्बूकुमार चरित् ' में विशेष परिचय देख'
'ततस्तां च समुत्तीर्थ प्रतस्थे केरला प्रति । विशश्राम कियरकालं नाना कुरलभूधरे ॥१४३॥७॥ पूजयामास भूमीशस्तत्र वि विमेशिनः। मुनीनति महामत्या ततः सामुयाः ॥१४४॥ .