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संलिम जैन इतिहास। भगवान पार्श्वनाथ के हम विहार विवरणसे स्पष्ट है कि उनका शुभागमन दक्षिण भारत देशोंमें भी हुमा था । महागष्ट्र, कोकण. कर्नाटक, द्राविड़, पल्लव आदि दक्षिणावर्ती देशों विचर करके नीर्थकर पार्श्वनाथने एक बार पुन: जैन धर्मका रद्योत किया था । दक्षिण भारतमें भगवान पार्श्वनाथ शुभागमनको चिरस्मरणीय बनाने वाले वहां वई नीर्थ माज भी उपलब्ध हैं । अन्तरीक्ष प.वनाथ. कालकुंड पावनाथ मादि तीर्थ विशेष उल. म्खनीय हैं । दक्षिण भारत के जैनी भगवान पवनायका विशेषरूपमें उत्सव भी मनान हैं।
महाराजा करकंडु। भगवान पार्श्वनाथ शासनकालमें मुमसिद्ध महागजा करकंड हुये थे । इन्हें शास्त्रों में प्रत्येक बुद्ध 'हा गया है और उनकी मान्यता जैनतर लोगों में भी है।
उत्तर भारतके चम्पायुमे पाटीवादन नामका जान्य करता था । उसकी नी पद्मावती मर्मती . . ए दिन है थीयर मबार होकर राजा और रानी वनविहारको गये । ३ ः विच गया और उन्हें जंगलमें लेभागा । जाना पड़की डाली कडा बच गया। पातु गनीको हाथी लिये ही चला गया । वह दन्तिपुरके पाम एक जलाशयमें जा धुमः । गनीने कूद कर आने प्राण बचाये पौर एक मालिनके घर जाकर वह गहने लगी। किंतु माफिनके कर स्वभावसे वह तंग भागई और एक स्मशान भूमिमें यह जा बैठी।