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४४] संक्षिप्त जैन इतिहास।
विदेह देशवासी क्षत्रियोंका गणराज्य भी उस समय उल्ले. खनीय था । यह लिच्छिवियों के साथ वृजि-प्रजातंत्र राज्यसंघ सम्मिलित थे, यह लिखा जाचुका है। दिगम्बर जैनशास्त्रों में भगवान महावीरकी जन्मनगरीको विदेह देशमें स्थित बतलाया है।'
और श्वेताम्बरी शास्त्र महावीरजीको विदेहका निवासी अथवा विदेहके राजकुमार लिखते हैं। इन उल्लेखोंसे भी विदेह गणराज्यका वृजि-रान-संघमें सम्मिलित होना सिद्ध है। यदि विदेहका सम्पर्क इस रानसंघसे न होता तो वैशालीके निकट स्थित कुण्डग्रामको विदेह देशमें न लिखा जाता। मस्तु; विदेहमें जैनधर्मको गति विशेष थी । भगवान महावीरने तीस वर्ष इसी देशमें बिताये थे। विदेहकी राजधानी मिथिला वैशालीसे उत्तर पश्चिमकी भोर ३५ मील थी और वह व्यापारके लिये बहु प्रख्यात थी। - इनके अतिरिक्त रायगामका कोल्यिगणराज्य, सुन्समार पर्वतका भग्ग राजसंघ, मलकप्पका बुलि प्रजातंत्र राज्य, पिप्पलिवनका मोरीयगणराज्य आदि अन्य कई छोटे मोटे प्रजातंत्रात्मक राज्य ये; निनका कुछ विशेष हाल मालम नहीं होता है।
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- १-उ० पु०, पृ० ६०५। २-Js. I, 256. ३-भत्री क्लैन्स,
पृ० १४६।