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________________ तत्कालीन सभ्यता और परिस्थिति। २४३ होसक्ते थे। ऐसे परिवर्तनों के अनेक उदाहरण ग्रन्थोंमें मिलते हैं। इसके अतिरिक्त ब्राह्मणोंके क्रियाकांडयुक्त एवं सर्व प्रकारकी सामानिक परिस्थितिके पुरुष स्त्रियोंके परस्पर सम्बन्धके भी उदाहरण मिलते हैं और यह उदाहरण केवल उच्च वर्णके ही पुरुष और नीच सन्याकि सम्बन्धके नहीं हैं, बल्कि नीच पुरुष और उच्च स्त्रियों के भी है।" सचमुच उस समय विवाहक्षेत्र अति विशाल था । चारों विधाह क्षेत्रको वर्गों के स्त्री-पुरुष सानन्द परस्पर विवाह सम्बन्ध विशालता । करते थे। इतना ही क्यों, म्लेच्छ और वेश्याओं आदिसे भी विवाह होते थे। राजा श्रेणिकने ब्राह्मणीसे विवाह किया था, जिसके उदरसे मोक्षगामी अभयकुमार नामक पुत्र जन्मा था। वैश्यपुत्र जीवंधरकुमारने क्षत्रिय विद्याधर गरुड़वेगकी कन्या गन्धर्वदत्ताको स्वयंवरमें वीणा बनाकर पास्त किया और विवाहा था। स्वयंवरमंडपमें कुलीन अकुलीनका भेदभाव नहीं था। विदेह देशके धरणीतिलका नगरके राजा गोविन्दकी कन्याके स्वयंवरमें उपरके तीन वर्णावाले पुरुष आये थे। जीवंधरकुमारके यह मामा ये । जीवन्धरने चंद्रक यंत्रको वेषकर अपने मामाकी कन्याके साथ पाणिग्रहण किया था। पल्लवदेशके गजाकी कन्याका सर्पविष दूर . १-बुइ० पृ. ५५-५९१२-पु० पर्व ७५ श्लो० २९ । ३-उपु० पर्व ७५ श्रो० ३२०-३२५ । ४-पल्या वृणीते कवितं स्वयंत्रग्गतां वर • कुलीनमकुलीनं या मो नास्ति स्वयंवरे ॥ इरि०.जिलदासकृतः। ५-क्षत्रचूड़ामणिकाव्य लंच १० श्लो०२३-२४ । .
SR No.010471
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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