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श्री वीर संघ और अन्य राना। [१२९ अकम्पित आठवें गणधर थे, जिन्हें अकम्पन भी कहते हैं । अकम्पित आठवें यह गौतमगोत्री ब्राह्मण थे। मिथिलापुरी निवासी
गणधर थे। विप्रदेव इनके पिता थे और जयन्ती इनकी माता थी । इनकी आयु ७८ वर्षकी थी और यह भगवानके गमनके पहले ही निर्वाण कर गये थे। किन्हीं लोगों का अनुमान है कि राजा चेटकके पुत्र अकम्पन ही, यह गणधर थे।
न गणधर अचलवन थे। यह धवल और अचलभ्रात नामसे नवे गणधर भी परिचित हैं। यह भी ब्राह्मण थे और हरिताअचलवृत्त। पनगोत्रके रत्न थे। इनका जन्म कौशलापुरी वसु नामक ब्राह्मणके घर उसकी नन्दा नामक स्त्रीके उदरसे हुआ था। इनकी मायु ७२ वर्षकी थी। जिस प्रकार इन्द्रभूति गौतम और सुधर्मास्वामी के अतिरिक्त अवशेष गणधर वीरप्रभुके जीवनकाल में ही मुक्त होगये थे; वैसे ही यह भी वीरप्रभुके समक्ष मोक्ष पागए थे। यह अकम्पन गणधरके साथ२ छौपच्चील शिष्यों नायक थे ।
दशवें मैत्रेय और अन्तिमप्रभास कौन्डिन्यगोत्रके ब्राह्मण थे। मैत्रेय और प्रभास मैत्रेयको मेतार्य अथवा मेदार्य भी कहते थे। - गणधर। यह वत्सदेशमें तुंगिकाव्य ग्रामके निवासी दत्त और उसकी भार्या करुणाके सुपुत्र थे। प्रभास राजगृहके निवासी ब्राह्मण बलके गृहमें उसकी स्त्री भद्राकी कोखसे जन्मे थे। यह दोनों ही गणधर एक संयुक्त गणके नायक थे और इनकी आयु - १-वृजेश० पृ० ५। २-जैप्र० पृ० २२७ । ३-वृजेश० पृ० ७॥ १४-वृजेश?. पृ1, . .. . . . . . . . . .