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________________ ( १ ) (१६५) शालिभद्रकी बहिन सुभद्रा । (१६६) शालिभद्र का बहनोई धन्ना। (१६७) शालिभद्र रोज एक एक स्त्री छोड़ता था। (९६८) धन्नाजीकी आठ स्त्रियां । (१६९) धन्नाजीने एकही दिनमें आठ स्त्रियां त्यागी (१७०) धन्ना और शालिभद्रने संथारा किया। (१७१) संथारेकी जगह पर शालिभद्रकी माता गई। (१७२) धन्नाजीने आंख नहीं टमकाई सो मोक्ष गया। (१७३) शालिभद्र ने आंख टमकाई सो मोक्ष नहीं गया। (१७४) एवंती सुकुमालका चरित्र । (१७५) विजय शेठ और विजया शेठाणीका अधिकार। (१७६) प्रभुके निर्वाण बाद ९८० वर्षे सूत्र लिखे गये। (१७७) बारां वरसी काल पड़ा। (१७८) चंद्रगुप्तराजाको सोला स्वप्न आए। (१७९) पांचवें आरेके छेहडे. दुप्पसह साधु । (१८०) पांचवें आरके छेहडे. फल्गुश्री साध्वी । (१८१) पांचवें आरेके छेहडे. नागील श्रावक । (१८२) पांचवें आरके छेहडे. सत्यश्री श्राविका। (१८३) एक आर्या (साध्वी) महाविदेहसे मुहपत्ती लेआई। (१८४) थूलिभद्र वेश्याके घर रहा। (१८५) सिंह गुफा वासी साधु नेपाल देशसे रत्नकंबल लाया । (१८६) दिगंबर मत निकला। (१८७) विष्णु कुमारका संबंध। (१८८) सलाका, प्रतिसलाका, महासलाका और अनवस्थित
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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