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(१४६) श्री ऋषभदेवजीने पारणेमें १०८घड़े इक्षुरसके पीए । (१४७) मरुदेवी माताने ६५००० पीड़ीयां देखीं । (१४८) मरुदेवी माताको रोते रोते आंखों में पड़ल आगए । (१४९) श्री ऋषभदेव तथा श्रेयांस कुमारका पूर्वभव | ( १५०) भरतजीने पूर्वभवमें पांचसौ मुनियोंकों आहार लाकर दिया ।
(१५१) बाहुबलिने पूर्वभव में पांचसो मुनियोंकी वैयावच्च करी (१५२) श्री ऋषभदेवजीने पूर्वभवमें बैलोंको अंतराय दीना इस वास्ते एक वर्ष तक भूखे रहे ।
(१५३) प्रद्युम्न कुमार हरा गया । (१५१) शांव कुमारका चरित्र |
(१५५) जरासंध काली कुमारादि पांचसौ बेटे यादवों के पीछे आए ॥
(१५६) यादवोंकी कुलदेवीने काली कुमार छला (१५०) रावण चौथी नरकमें गया ।
( १५८) कुंभकर्ण तथा इंद्रजीत मोक्ष गए । (१५९) कौरव पांडवोंका युद्ध ।
(१६०) रहनेमिने ५० स्त्रियां त्यागी * ।
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- (१६१) चेड़ाराजाकी पुत्री चेलणाने जोगियोंको जत्तीयां कतर के खिलाई
(१६२) शालिभद्रकी ३२ स्त्रियां ।
(१६३) शालिभद्रकी नाताका नाम भद्रा । (१६४) शालिभद्र के पिताका नाम गोभद्र
तिनेंक ५०० भी कहते है