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________________ ( ३५ ) (१४६) श्री ऋषभदेवजीने पारणेमें १०८घड़े इक्षुरसके पीए । (१४७) मरुदेवी माताने ६५००० पीड़ीयां देखीं । (१४८) मरुदेवी माताको रोते रोते आंखों में पड़ल आगए । (१४९) श्री ऋषभदेव तथा श्रेयांस कुमारका पूर्वभव | ( १५०) भरतजीने पूर्वभवमें पांचसौ मुनियोंकों आहार लाकर दिया । (१५१) बाहुबलिने पूर्वभव में पांचसो मुनियोंकी वैयावच्च करी (१५२) श्री ऋषभदेवजीने पूर्वभवमें बैलोंको अंतराय दीना इस वास्ते एक वर्ष तक भूखे रहे । (१५३) प्रद्युम्न कुमार हरा गया । (१५१) शांव कुमारका चरित्र | (१५५) जरासंध काली कुमारादि पांचसौ बेटे यादवों के पीछे आए ॥ (१५६) यादवोंकी कुलदेवीने काली कुमार छला (१५०) रावण चौथी नरकमें गया । ( १५८) कुंभकर्ण तथा इंद्रजीत मोक्ष गए । (१५९) कौरव पांडवोंका युद्ध । (१६०) रहनेमिने ५० स्त्रियां त्यागी * । .. - (१६१) चेड़ाराजाकी पुत्री चेलणाने जोगियोंको जत्तीयां कतर के खिलाई (१६२) शालिभद्रकी ३२ स्त्रियां । (१६३) शालिभद्रकी नाताका नाम भद्रा । (१६४) शालिभद्र के पिताका नाम गोभद्र तिनेंक ५०० भी कहते है
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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