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________________ (१२४) रावणकी बहिनका नाम सुर्पनखा। (१२५) रावणका बहनोई खरदूषण । (१२६) रावणकी राणीका नाम मंदोदरी। (१२७) रावणके पुत्रका नाम इंद्रजीत । (१२८) रावणकी लंका सोनेकी। (१२९) पवनंजय तथा अंजना सतीका पुत्र हनुमान और .:. इनका चरित्र।। (१३०) लक्ष्मणजीकी माताका नाम सुमित्रा। (१३१) सीताने धीज करी। (१३२) जरासंधकी बेटी जीवजसा। (१३३) जराविद्या नेमिनाथ चर्ण जलसे भाग गई। (१३४) कुंतीका बेटा कर्ण।। (१३५) पांडवोंने जूएमें द्रौपदी हारी। (१३६) वसदेवकी ७२००० स्त्री। (१३७) वसुदेव पूर्वभवमें नंदिषण था और तिसने साधुकी वैयावच्च करी। (१३८) हरकेशी मुनिका पूर्वभव । (१३९) पांचवें आरेमें सौ सौ वर्षे ६ महीने आयु घटे। (१४०) पांचवें आरेका जव (जौं) का आकार ! (१४१) पांचवें आरे लगते १२० वर्षका आय । (१४२) संपूर्ण पदवी द्वार । (१४३) भरतजीकी आरीसे भवनमें अंगठी गिरी। (१४४) भरतजीको देवंताने साधुका भेष दिया। (१४५) साधुका भेष देखकर राणीयां हसने लगी।
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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