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________________ ( ३३ ) (१०१) चेलणा राणी छल करके श्रेणिकने व्याही | (१०२) छप्पनकोड़ यादव | (१०३) द्वारका में ७२ कोड़ घर । (१०४) द्वारका के बाहिर ६० कोड़ घर । (१०५) रेवतीने कोलापाक बहराया। (१०६) श्रीपार्श्वनाथकी स्त्रीका नाम प्रभावती । (१०७) श्रीमहावीरस्वामी की बेटीकोढंक नामाश्रावकने समझाया (१०८) भगवानकी जन्मराशि ऊपर दो हजार वर्षका भस्मग्रह (१०९) भगवान के निर्वाणसे दीवाली चली । (११०) हस्तपाल राजा वीनती करे चरम चौमासा यहां करो * (१११) शालिभद्र ने पूर्व जन्म में खीरका दान दिया (११२) कयवन्ना कुमारकी कथा (११३) अभयकुमारकी कथा (११४) जंबूस्वामी की आठ स्त्रियोंके नाम (११५) जंबूकुमारका पूर्वभवमें भवदेव नाम और स्त्रीका नागीला नाम (११६) जंबूकुमारके माता पिताका नाम धारणी तथा ऋषभदत्त (११७) अठारह नाते एक भव में हुए तिसकी कथा | ( ११८) जंबूकुमारकी स्त्रियोंने आठ कथा कहीं ॥ (११९) जंबूकुमारने आठ कथा कहीं । (१२०) प्रभवा पांचसौ चोरों सहित आया । (१२१) जंबूकुमारके दायजे में ९९ क्रोड़ सुनैये आये । (१२२) सीता सतीको रावण हरके लेगया । (२२३) रावण के भाइयों का नाम कुंभकरण विभीषण था ।
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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