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________________ ( २ ) (१३) प्रथम बड़ा साधु- पांचपदकी खमावना करे पीछे छोटे साधु करे सो किस शास्त्रानुसार ? (१६४) कंडरीकने एक हजार वर्षतक बेले बेले पारणा किया कहते हो सो किस शास्त्रानुसार ? (१०१) गोशालेके ११ लाख श्रावक कहतेहो सो किसा? (१०६) साधु चोलीसमान और गृहस्थी दावन समान सो किस ०? (१००) पंडिकमणा आया पीछे बड़ी दीक्षा देनी सौ किसी (१०८) सोलो दिनकी अथवा तेरो दिनकी पाखी नहीं करनी सो किस शास्त्रानुसार ? (१०९) पांचवें आरके अंतमें चार अध्ययन. दशवकालिकके रहेंगे ऐसे कहते हो सो किस शास्त्रानुसार.?. (११०) पूनीया श्रावककी सामायिक कहते हो.सो किस० (१११) बेलेसे उपरांत पारिहावनीया आहार नहीं देना सो किस शास्त्रानुसार ?. (११२) सूत्रोंका त्याग कर देना, अपनी निश्राय नहीं रखने, सो.किस शास्त्रानुसार ? (११३) छोटी पूंजणी रखनी सो किस शास्त्रानुसार? (११४) पोथीपर रंगदार डोरा नहीं रखना कहते हो सो किस०१ (११५). आप चिट्ठी नहीं लिखनी, गृहस्थी से लिखाना सो किस शास्त्रानुसार ? (१.१६) कपड़े, सज्जीसे नहीं धोने,पानीसे धोने,सो किस०? (११५) ध्यान पार कर मनचला, वचनं चला, काया चली, कहते हो सो किस शास्त्रानसार ? 1Arrr. - - -
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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