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________________ . (२७ ) (११८) पशमका कपड़ा नहीं लेना सो किस शास्त्रानुसार *? (११९) कई जगह श्रावक पडिकमणेमें श्रमणसूत्र कहते हैं सो किस शास्त्रानुसार, क्योंकि श्रमणसूत्र में तो साधुके पांच महाव्रत और गौचरी वगैरह की आलोयणा है ॥ (१२०) कई जगह ढुंढक श्रावक सामायिक बाँधु ऐसे कहते हैं-सो किस शास्त्रानुसार ? (१२१) विहार करनेके बदले उठ कहते हो सौ किसा ? (१२२) एक जना लोगस्स पढलेवे और सबकी काउसंग हो जावें सो किस शास्त्रानुसार ? (१२३ पर्यंषणापर्व में अंतगडदशांग सूत्र वाचना किस । (१२४) कई जगह कल्पसूत्र वांचते हो और मानते नहीं हो “सो किस शास्त्रानुसार? (१२५) कई जगह पर्यषणामें गोशालेको अध्ययन वाचते हो सो किस शास्त्रानुसार ? (१२६) कोई रिख मरजावे तो पुस्तकं वगैरह गृहस्थीकी तरह हिस्ले करके वाटलेते हो सोकिस शास्त्रानुसार ? दृष्टान्त लोपड़ी में देवजी रिखके बहुत झगडे के बाद बारां हिस्से में बांटा गया है। (१२५) धोलेरा तथा लींबड़ी वगैरह में पैसावगैरह डालने के भंडारे बनाये हैं सो किस शास्त्रानुसार ? ___*लुधीहाना नगर में निकाले दंटियों के नूतन र योन्तों में लिखा है कि "पम का कपड़ा दिनमें नहीं पोटना रातकी बात न्यारी'। पंजाब देश शहर हुशियारपुरमें संवत् १८५८ के माघ महीने में पुस्तकों के भंडार के नामसे क्यैये एकत्र किये थे जिम में कितने क बाहिर नगरके लोग पीछेसे भेजने को कर गए ये,लितनेकने उसी वक्त दे दिये थे, अब सुनते हैं कि दे जाने वाले पश्चातापकरते हैं, पौर भेनमे वालेमौनकर बेठे और लेने वाले माई पार भारदीनाकारजम कर गये ।
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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