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________________ २४ , (७२) भादों दो हो। तो पहिले भादों में पर्युषण करने,किस०? (७३) नावा में बैठके ऊतरे तेलेका दण्ड कहते हो,सो किस.? (७४) लस्सी (छास) और शरबत (मीठापानी) पीकर एक दो मास तक रहना और कहना कि महिने दो महिने के ब्रत किये है,सो किस शास्त्रानुसार ? (७५) एक साधुको महिने से ज्यादा तपस्या कराके सव साध एक ठिकाने कल्पसे ज्यादा रहते हो, सो किस शास्त्रानुसार ? (७६) जब लोच करते हो, तब गृहस्थी को व्रत वगैरह कराके चढ़ावा लेते हो, सो लोच आप करना और दंड गृहस्थी को देना,सो किस शास्त्रानुसार ? (७७) रजोहरण की डंडीपर कपडा लपेटना सो जीव रक्षा के निमित्त कहते हो, सो किस शास्त्रानुसार ? (७८) सफेद नवीन कपड़े पहनने किस शास्त्रानुसार ? (७९) हमेशां सूर्य उदय होवे तब आज्ञा लेते हो, और पच्चक्खाण कराते हो सो किस शास्त्रानुसार ? . (८०) बुढेको डंडारखना,और को नहीं रखना कहतेहो,सो किस०? (८१) मुहपत्ती बांधनेसे वायुकाय की रक्षा होती है ऐसे कहते हो सो किस शास्त्रानुसार ? (८२) हाथमें लटकाके गौचरी लाते हो, सो किस शा०? (८३) अन्यतीर्थी के वास्ते भोजन करा होवे उसको कहना कि तुमको शंका न होवे तो दे दो, सो किस शास्त्रानुसार ? (८४) रात्रि को सूई रखे तो एक ब्रतका दंड कहते हो, सो? (८५) सूई टूट जावे तो बेले (दो व्रत)का दंड कहतेहो, सोकिस? (८६)सई खोई जावे तो तेले (३व्रत)का दंड कहतेहो, सो किस?
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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