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(२४१) के पुत्रकी थोड़ी भी घांत चितवन नहीं करी थी। और साधुको अपने वास्ते परिसह सहने का तो धर्मही है,परंतु जो कोई शासन को उपद्रवकरे तो साधु तथा श्रावक जिनाज्ञा पूर्वक यथाशक्ति उस के निवारण करने में ही उद्युक्त होवे ॥ इति॥
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(३१) बीस विहरमान के नाम बाबत।
ढूंढियों के माने बत्तीस सूत्रोंमें बीस विरहमानके नाम किसी ठिकानेभी नहीं हैं परंतु ढूंढिये मानते हैं सो किस शास्त्रानुसार ? इस प्रश्न के उत्तरमें जेठमल ढूंढक लिखता है कि तुम कहते हो वोही बीस नाम है ऐसा निश्चय मालूम नहीं होता है, क्योंकि श्री विपाक सूत्रमें कहा है कि भद्रनंदी कुमारने पूर्वभवमें महाविदेह क्षेत्रमें पुण्डरगिणी नगरीमें जुगबाहुजिनको प्रतिलाभा, और तुमतो पुंडरगिणी नगरीमें श्रीसीमंधरस्वामी कहते हो सो कैसे मिलेगा ?" उत्तर-श्रीसीमंधरस्वामी पुष्कलावती विजयमें पुंडरगिणी नगरीमें जन्मे हैं सो सत्य है, परंतु जिस विजयमें जुगबाहु जिन विचरते हैं, उस विजयमें क्या पुंडरगिणी नामा नगरी नहीं होवेगी ? एकनामकी बहुत नगरियां एक देशमें होती हैं जैसे काठियावाड़ सरीखे छोटेसे प्रांत(सूबा)में भी एक नामके बहुतशहर विद्यमान हैं तो वैसे देशमें जुदीरविजयमें एक नामकी कई नगरियां होवें तो इसमें कुछ आश्चर्य नहीं है,इसवास्ते जेठमलजी की करी कुयुक्ति झूठी है, और जैन शास्त्रानुसार बीस विहरमानके नाम कहलाते हैं सो सच्चे हैं, जेकर जेठा हालमें कहलाते वीस न म सच्चे नहीं मानता है तो कौनसे बीस नाम सच्चे हैं ? और वो क्यों नहीं लिखे ? बिचारा कहां से लिखे ? फकत जिनप्रतिमा के
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