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कुमार तीसरे देवलोक गया, टीकाकारका कहना सत्य है ॥
(२) "भगवती सूत्र में पांचसौ धनुष्यसे अधिक अवगाहना वाला सिद्ध न होवे ऐसा कहा है और आवश्यक नियुक्ति में मरुदेवी ५२५ सवापांच सौ धनुष्य की अवगाहना वाली सिद्ध हुई ऐसे कहा है" उत्तर-यह जेठेका लिखना मिथ्या है, क्योंकि आवश्यक निर्युक्तमें मरुदेवीकी सवापांचलौ धनुष्यकीअवगाहना नहींकही है।
(३) “समवायांग सूत्रमें ऋषभदेवका तथा बाहुबलिका एक सरीखा आयुष्य कहा है, औरआवश्यक नियुक्ति में अष्टापद पर्वत ऊपर श्रीऋषभदेवकेसाथ एकही समय में बाहुबलि भी सिद्ध हुआ ऐसेकहा है" उत्तर-बाहुबलिका आयुष्य ६ लाख पूर्व टूट गया। इस आयुका टूटना सोअच्छेरा है। पंचवस्तु शास्त्र लिखाहै किदश अच्छेरे तो उपलक्षण मात्र हैं, परंतु अच्छेरे बहुतह १ __*यदि ढूंढिये बाहुबलिका श्रीऋषदेवके साथ एकही समय में सिद्ध होनान मानते है तो उनको चाहिये कि अपने माने बत्तीस सूत्रों में से दिखा देवें कि श्रीबाहुबसिने अमुकसमयदीक्षा ली और अमुक वजा केवल ज्ञान हुआ और अमुक वक्त सिद्धाभा तथा श्रीठाणांग सूत्रकेदश में ठाण में दस अच्छरे लिखे है उन का स्वरूप,तथा किस किमतीर्थंकर के तीर्थ में कौनसार अच्छेरा हा इसका वर्णन,विना नियुक्ति,भाष्य,चूर्णि,टीकापौर प्र. करणादि ग्रंथों के अपने माने बतीस शास्त्रों के मन्न पाठमें दिखानाचाहिये,जबतकानका पूरा २ स्वरूप नहीं दिखायोगे वहां तक तुमारी कोई भी कुयक्ति काम न पावेगी दम पच्छरों का पाठ यह है ॥
"दस अच्छेरगा पण्णत्ता तंजहा॥ उवसंग्ग गम्भहरणं इत्थी तीत्थं अभाविया परिसा । कण्हस्स अवरकका उत्तरणं चंद सूराण॥१॥ हरिवंसकुलुप्पत्ति चमरुप्याओय असय सिद्धा । अस्संजएस पूया दसवि अणंतेण कालेणं ॥२॥"