________________
(ove) पोलीएकी करी जिन प्रतिमाकी पूजाका निषेध करने वास्ते अनेक कयुक्तियां करी हैं तिन सर्वका प्रत्युत्तर अनुक्रम से लिखते हैं।
(१) आदिमें सूर्याभ देवताने श्रीमहावीर स्वामी को आमल केल्पा नगरी के बाहिर अंवसाल वन' में देखा तब संन्मुख जाके नमुथ्थुणं कहा तिसमें सूत्रकारने " ठाणसंपत्ताणं" तक पाठ लिखा है इसवास्ते जेठमल पिछले पद कल्पित ठहराता है,परंतुयहजेठमल का लिखना मिथ्याहै, क्योंकि वेद कल्पित नहीं है किंतु शास्त्रोक्त है इस बाबत ११ में प्रश्नोत्तर में खुलासा लिख आए हैं। ...
, (२) पीछे सूर्याभने कहा कि प्रभुको वंदना नमस्कार करनेका महाफल है, इस प्रसंगमें जेठमलने जोसूत्रपाठलिखा है सो संपूर्ण नहीं है, क्योंकि तिस सूत्रपाठ के पिछले पदों में देवता संबंधी चैत्यकी तरह भगवंतकी पर्युपासना करूंगा ऐसे सुर्याभने कहा है, सत्यासत्य के निर्णय वास्ते वो सूत्रपाठ, श्रीरायपसेणी सूत्र.से. अर्थ सहित लिखते हैं,- यतः श्रीराजप्रश्नीयसूत्रे-॥ .. .. - :
तं महाफलं खल तहारुवाणं अरहंताणं भग: वंताणं नामगोयस्सविसवणयाए कि मंग पण
अभिगमणवंदणनमंसणपंडिपच्छणपज्जवासणयाए एगस्सवि आयरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए तं गच्छामिणं समणं भगवं महावोरंवंदामि नमसामि सक्कारमिसम्माणेमि कल्लाणं मंगलं देवयं चेयं पज्जुवा
न
.
.
.
.
१C