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आत्मा शरीरमें पूर्णरूपसे व्याप्त है, वा अपने एक प्रदेशसे शरीरको व्याप्त कर रक्खा है? यदि उत्तरमें कहो कि; आत्मा भोगायतनको पूर्णरूपसे व्याप्त कर रक्खा है अर्थात् आत्मा शरीरमें पूर्णरूपसे विद्यमान है तब तो तुमने हमारे मतको खीकार किया अर्थात् | हम ( जैनी ) भी यही मानते है कि; आत्मा शरीरमें पूर्णरूपसे रहता है, इस कारण कोई विवाद ही नहीं है । यदि कहो कि; आत्मा अपने किसी एक प्रदेशसेही शरीरको धारण कर रक्खा है; तो आत्माके सावयवपनेका प्रसंग होगा। भावार्थ-जो प्रदेशो ( हिस्सों ) का धारक होता है; वह अवयवी होता है और आत्माको तुमने अवयवी माना नहीं है; इसकारण तुमको
अनिष्टकी प्राप्ति होगी। और परिपूर्ण भोगका अभाव भी होता है। भावार्थ-यदि आत्मा एक प्रदेशसे शरीरको व्याप्त करके रहे-IMS लगा तो जिस प्रदेशसे शरीरको धारण कर रक्खा है उसी प्रदेशमें सुख, दुःख आदिका भोग होगा अन्य प्रदेशोंमें नहीं; इसकारण |
समस्त प्रदेशोंमें भोग न होनेसे आत्माके परिपूर्णरूपसे भोगका भी अभाव होगा। | अथात्मनो व्यापकत्वाऽभावे दिग्देशान्तरवर्तिपरमाणुभिर्युगपत्संयोगाऽभावादाद्यकर्माऽभावस्तभावादन्त्यसं
योगस्य, तन्निमित्तशरीरस्य तेन तत्संबन्धस्य चाभावादनुपायसिद्धः सर्वदा सर्वेषां मोक्षः स्यात् । नैवम् । यद्येन को संयुक्तं तदेव तं प्रत्युपसर्पतीति नियमाऽसम्भवात् । अयस्कान्तं प्रत्ययसस्तेनासंयुक्तस्याप्याकर्षणोपलब्धेः । अथा
संयुक्तस्याप्याकर्षणे तच्छरीरारम्भं प्रत्येकमुखीभूतानां त्रिभुवनोदरविवरवर्तिपरमाणूनामुपसर्पणप्रसङ्गान्न जाने । तच्छरीरं कियत्प्रमाणं स्यादिति चेत् संयुक्तस्याप्याकर्षणे कथं स एव दोषो न भवेत्। आत्मनो व्यापकत्वेन सकल| परमाणूनां तेन संयोगात् । अथ तद्भावाविशेषेऽप्यदृष्टवशाद्विवक्षितशरीरोत्पादनानुगुणा नियता एव परमाणव
उपसर्पन्ति तदितरत्रापि तुल्यम् । __ शंका-यदि आत्मा व्यापक न होगा तो दिगन्तर (एक दिशासे दूसरी दिशा) में तथा देशान्तर (एक देशसे अर्थात् स्थान-Ill से दूसरे देश ) में रहनेवाले जो परमाणु है; उनके साथ आत्माका एक ही समयमें संयोग न होनेसे आद्यकर्मका अभाव होगा; उस आद्यकर्मका अभाव होनेसे अन्त्यसंयोगका अभाव होगा; उस अन्त्यसंयोगके अभावसे उस अन्त्यसंयोगरूप निमित्तसे |उत्पन्न होनेवाले शरीरका अभाव हो जायेगा । और शरीरका अभाव होनेसे उस शरीरका जो आत्माके साथ संबंध है; उसका | |अभाव होगा, इसकारण सब जीवोंके सदा विना उपायके सिद्ध हुआ अर्थात् किसी उपायको किये विना मोक्ष हो जावेगा।