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________________ 393 (By (हिन्दी) काव्यमीमांताः राजशेखर, व्याख्या - डा. गंगासागर राय.एम. ए. पी. एच.डी.. प्रकाशक - चौखम्बा विद्याभवन. वारापसी - 1. तृतीय संस्करप, वि.सं. 2039 (9) काव्यादर्श : दण्डी, अनुवादक - बज रत्नदास, बी. ए., प्रकाशक - श्री कमलमपि गन्थमाला कार्यालय, बुलानाला, काशी, वि. सं. 1988 (10) काव्यानुशासनः हेमचन्द्र, सम्पादक - रसिकलाल सी. पारिख, प्रकाशक - श्री महावीर जैन विद्यालय, बंबई, प्रथम संस्करप 1938 (11) काव्यानुशासनः वाग्भट द्वितीय, सम्पादक - पं0 शिवदत्त शर्मा और काशीनाथ पाण्डुरंग परब, प्रकाशक - तुकाराम जावजी, निर्पयसागरं प्रेस, बम्बई, द्वितीयावृत्ति, 1915 (12) काव्यालंकारः भामह, भाष्यकार - देवेन्द्रनाथ शर्मा, प्रकाशक बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, पटना, शिष्टाब्द - 1962 (13) हिन्दी काव्यालंकारः रुद्रट, नमिताधकृत सं. टीका सहित, व्या. श्री रामदेव शुक्ल, पका. - चौखम्बा विद्याभवन, वारापसी - 1, प्रथम संस्करप 1966 (14) काव्यालंका रसारः भावदेवतरि (अलंकारमहोदधि के अंत में - पृ. 343 से 356 तक प्रकाशित)
SR No.010447
Book TitlePramukh Jainacharyo ka Sanskrit Kavyashastro me Yogadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRashmi Pant
PublisherIlahabad University
Publication Year1992
Total Pages410
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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