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________________ 394 (15) काव्यालंकारसारतगह एवं लघुवृत्ति की व्याध्या, उभट एवं प्रतिहारेन्दुराज, व्याख्या- डॉ. राममूर्ति त्रिपाठी, प्रका0-हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग, प्रथम संस्करम, सन् 1966 (16) हिन्दी काव्यालंका रसत्र : वामन, व्याख्या. आचार्य विश्वेश्वर, सम्पादक - डा. नगेन्द्र, प्रकाशक - आत्माराम एण्ड सन्स, दिल्ली -6, सन् 1954 (17) चन्द्रालोकः पीयषवर्ष जयदेव, व्याख्या. नन्दकिशोर शर्मा, साहित्याचार्य, प्रकाशक - चौखम्बा संस्कृत सीरीज आफिस, बनारस, सन् 1937 (18) जैन साहित्य का बृहद इतिहास, भाग 5: पं0 अम्बालाल प्रे० शाह, प्रकाशक - पाश्र्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी - 5, प्रथम संस्करप, 1969 (19) जैनाचार्यों का अलंका रशास्त्र में योगदान : डा. कमलेश कमार जैन प्रका. - पाश्र्वनाथ विपाश्रम शोध संस्थान. वारापसी -5, वि.सं. 2041 (20) तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा, चतर्थ खण्डः डा. नेमिचन्द्र शास्त्री, प्रकाशक - अखिल भारतवर्षीय दि. जैन विद्वत परिषद, प्रथम संस्करण, 1974 (21) हिन्दी दारूपकः धनञ्जय, व्याख्या. - डा. भोलाशंकर व्यास, प्रकाशक - चौखम्बा विद्या-भवन, बनारस, चतुर्थ संस्करप, 1973
SR No.010447
Book TitlePramukh Jainacharyo ka Sanskrit Kavyashastro me Yogadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRashmi Pant
PublisherIlahabad University
Publication Year1992
Total Pages410
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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