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________________ 392 सहायक गन्य - सची (।) अग्निपुराप का काव्यशास्त्रीय भाग संपादक - अन. डा. रामलाल शर्मा, प्रकाशक - नेशनल पब्लिशिंग हाउस. दिल्ली - 6, द्वितीय संस्करण, 1969 (2) अलंकार धारपाः विकास और विश्लेषप डा. शोभाकान्त मिश्र, प्रकाशक - बिहार हिन्दी गन्थ अकादमी, पटना - 3, प्रथम संस्करप, 1972 (3.) अलंकारमहोदधि : नरेन्द्रप्रभतरि, संपादक - लालचन्द्र भगवानदास गान्धी जैन पंडित. प्रकाशक - गायकवाड़ ओरियण्टल सीरीज, बड़ौदा, 1942 (4) आचार्य हेमचन्द - लेखक डा. वि. भा. मुसलगांवकर मध्यप्रदेश हिन्दी गन्थ अकादमी भोपाल, से प्रकाशित (5) (हिन्दी) अभिनवभारती : अभिनवगुप्त, भाष्यकार - आचार्य विश्वेश्वर, प्रकाशक - हिन्दी विभाग. दिल्ली विश्वविद्यालय, द्वितीय संस्करण, सन् 1973 16 हिन्दी अलंकारसर्वस्व : राजानक स्थयक, हिन्दी भाष्यानुवादकार-डा. रेवाप्रसाद द्विवेदी, चौखम्बा प्रकाशन, वारापसी, प्रथम संस्करप, सन् 1971 काव्यप्रकाश : मम्मट, व्याख्याकार - आ. विश्वेश्वर. सम्पादक - डा. नगेन्द्र, प्रकाशक - ज्ञानमण्डल लिमिटेड. वारापसी, प्रथम संस्करप, 1960
SR No.010447
Book TitlePramukh Jainacharyo ka Sanskrit Kavyashastro me Yogadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRashmi Pant
PublisherIlahabad University
Publication Year1992
Total Pages410
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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