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________________ 248 कारण अन्ध हो जाना अवस्थाविरुदु और योगीजनों द्वारा बापों से हाथी मारना आगमविरुद्ध होने से दोष है। हेमचन्द्राचार्य ने प्रायः मम्मट का अनुसरप करते हुए 20 अर्थ - दोषों को स्वीकार किया है - (1) कष्ट, (2) अपुष्ट, (3) व्याहत, (4) ग्राम्य, (5) अश्लील, (6) साकांक्ष, (7) संदिग्ध, (8) अकम, (१) पुनरूक्त, (10) सहचरभिन्न, (11) विरूदव्यंग्य, (12) प्रसिद्धि विरुद्ध, (13) विद्याविरुद्ध, (14) त्यक्तपुन रात्त, (15) परिवृत्तनियम, (16) परिवृत्त - अनियम, (17) परिवृत्त - सामान्य, (18) परिवृत्त - विशेष, (19) परिवृत्त - विधि और (20) परिवृत्त - अनुवाद।' इसके सोदाहरप लक्षप उन्होंने इस प्रकार दिये हैं - 14 कष्ट - “कष्टावगम्यत्वात्कष्ट त्वर्थत्य' अर्थात् अर्थ का कष्टपूर्वक ज्ञान होना कष्टत्व दोष कहलाता है। यथा - सदामध्ये यासाममतरसनिष्पन्दसरसा सरस्वत्युददामा वहितबहुमायां परिमलम्। प्रसादं ता एता धनपरिचयाः केन महतां महाकाव्यव्योम्नि स्फुरितरूचिरायां तु रूचयः।।2 • काव्यानुशासन, 3/7 2. काव्यानुशासन, पू, 261
SR No.010447
Book TitlePramukh Jainacharyo ka Sanskrit Kavyashastro me Yogadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRashmi Pant
PublisherIlahabad University
Publication Year1992
Total Pages410
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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