________________
1944
श्रम : रमप करने आदि के कारण उत्पन्न थकावट को श्रम कहते है और वह प्रवेद तथा श्वासादि के कारण होता है।
चिन्ता : इष्ट वस्तु की प्राप्ति न होने ते अथवा अप्रिय की प्राप्ति से उत्पन्न मानसी पीड़ा को चिन्ता कहते हैं। वह इन्द्रियों की विकलता श्वास और कृशतादि की जननी होती है।
चपलता : रागद्वेषादि के कारप बिना विचारे जो कार्य करने लगता है वह चपलता है। और वह स्वेच्छाचारिता आदि की जननी होती
___आवेग : अकस्मात उपस्थित हो जाने वाले इष्ट या अनिष्ट से
उत्पन्न धोभ आवेग कहलाता है और शरीर मन तथा वाणी में विकार का
जनक होता है।
मति : शास्त्र तथा तर्क से उत्पन्न होने वाली नवनवोन्मेशशालिनी प्रज्ञा मति कहलाती है। और वह प्रमोच्छेदन आदि की जननी होती है।
व्याधि : दोषों से उत्पन्न शारीरिक या मानसिक क्लेश व्याधि कहलाता है और वह अतिस्वर तथा कम्पादि का जनक होता है।
स्मृति : मिलते - जुलते सदृश पदार्थ को देखने आदि से उत्पन्न
पूर्ववैट अर्थ का ज्ञान स्मृति कहलाता है।