________________
प्राचीन जैन स्सारका पाया गया है जिन्होंने गुप्तोंके राज्यको छठी शताब्दीमें नष्ट किया था।
नौमी शताब्दीमें यह किला कन्नोनके राजा भोनके आधीन था। इस राजाका लेख सन १७६ का चतुर्भूज नानकें पायाण मंदिर मिला है । कत्रवाहा राजपूतोंने : ० वीं शताब्दीक मध्यसे मन् १९२८ तक राज्य किया । प्रि परिहारोंने इसपर अधिकार किया । लन् १९९६म मुहम्मद गोरीने हमला किया और किलेको ले लिया। सन् २०१३ में परिहारोंने फिर ले लिया और उसे मन १२६२ तक अपने आधीन स्वखा। फिर मुममानोंने मन १३९८ तक अधिकान्ने क्ला. पीछे फिर तोवर राजपूतोंने सन् १९९८ तक अधिकारने लिया। पीछे इब्राहीम लोधीने कवजा किया । नोखर राना मानसिंह (सन १४८६-१९१७) के राज्यों यह ग्वालियर बहुत प्रभुत्वपन था । इसने पहाड़ीकी पूर्व और एक सुन्दर महल बनवाया है। इसकी प्यारी रानी गृजरी मृगर्नेना श्री । तब यह ग्वालियर गान विद्याका केन्द्र था। आईन अकबरीने जिन ३६ गवयों और वाभित्रों का वर्णन है उनमेंसे १५ ने ग्वालिबरने शिक्षा पाई थी इनहींम प्रसिद्ध नानसेन गवैया था।
मन १५२६ में किल्ले बाबरने ले लिया । लक्ष्मण दरवाजैके पास चनु नका मंदिर पहाइमें कटा हुआ ९ नी शताब्दीका है इसीने कन्नौजक राजा भोजका लेख मन् (७६ का है। राजाको गोपगिरि स्वानी कहा है।
जैन मंदिर और मूनिय-क्रिनिंघम रिपोर्ट नं० २) हाथी दरवाजा और साम वह मंदिनके मव्यमें एक जन नंदिर है जिसने