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मध्य भारत।
[६३ (५) चंदेरी-जिला नरवर-नगर व प्राचीन किला । यहांसे ९ मील दूर पुरानी चन्देरी है जो अब ध्वंश स्थानोंका ढेर है। चन्देलोंने इसे बसाया था। इसका सबसे पहला कथन अलवेरूनी (सन् १०३०) ने किया है। यह सुन्दर तनजेवोंके बनानेमें प्रसिद्ध था (कनिंघम रिपोर्ट नं० २ पत्र ४०२) । चन्देरीके किलेके पास पहाडीपर पुरानी कुछ जैन मूर्तियां अंकित हैं । पुराना किला नग- . रसे २३० फुट ऊंचा है।
कनिंघम रिपोर्ट नं० २में है कि पुरानी चंदेरीको बूढी चंदेरी कहते हैं। यहां चन्देल राजाओंने सन् ७००से ११८४ तक राज्य किया था। यह ३०० फुट ऊंची पहाड़ीपर बसा है। यहां महल है उसके दक्षिण दो वंश मंदिरोंके शेष हैं । इनमेंसे एकमें एक पाषाण है जिसमें १०वीं या ११वीं शताब्दीके अक्षर हैं । इसकी 'थोड़ी दूरपर छोटा कमरा है जिसमें २१ जैन मूर्तिये हैं उनमें १९ कायोत्सर्ग व दो पद्मासन हैं। ये दोनों सुपार्थ तथा चन्द्रप्रभुकी हैं । नई चन्देरीकी पहाड़ीके नीचे एक सरोवर है जिसका नाम कीरतसागर है। . (६) ग्वालियरका किला-प्राचीन नगरके ऊपर ३०० फुट ऊँची पहाड़ी है उसपर किला है । यह किला छठी शताब्दीसे भारतके इतिहासमें प्रसिद्ध है। कहते हैं कि इस किलेको सुरजसेनने स्थापित किया था। यहां एक साधु ग्वालिय रहता था 'उसने सूरजसेनका कष्ट दूर किया था । यह ग्वालियर उसी साधुके नामसे प्रसिद्ध है । शिलालेखमें इसको गोपगिरि या गोपाचल लिखा है। किलेमें राजा तोरामन और मिहिरकुलका शिलालेख