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________________ [ ६१ मध्य भारत । ( १ ) ग्वालियर रेजिडेन्सी । इसकी चौहद्दी इस प्रकार है-उत्तरमें चम्बल नदी, दक्षिण में भिलसा, पूर्व में बुन्देलखण्ड और झांसी, पश्चिममें राजपूताना । इसमें ग्वालियर राज्य, राघोगढ़, खरुआ, धानी, पारोन, गढ़ उमरी, भदौरा छोटे राज्य शामिल हैं । ग्वालियर राज्य में १७२० वर्गमील उत्तर व ८०२१ वर्ग मील दक्षिणमें कुल २१०४१ वर्गमील स्थान है । पुरातत्त्व - प्राचीन उज्जैनको खुदवाने की जरूरत है । सं० नोट- वास्तव में इस पुराने उज्जैनमें जैन प्राचीनताके बहुत चिह्न मिलेंगे । पुराने स्मारक भिलसा, वीसनगर व उदयगिरिमें जहां प्रथम शताव्दीके बौद्ध व ४ या ५ शता० के हिन्दू स्मारक देखे जाते हैं। मधकालीन हिन्दू और जैनकी शिल्पकला वरो, ग्वालियर, ग्यारसपुर नरो व उदयपुरमें है । यह शिल्प १० से १३ शताब्दी तकका है, परन्तु कुटवार या कामंतलपुरमें (नूरावादसे उत्तरपूर्व १० मील) तथा पारोली और परावली ( ग्वालियर से उत्तर ९ मील) में ५ वीं · या छठी शताब्दी व उसके पहलेके भी स्मारक हैं। तेराहीके पास राजापुरमें एक स्तूप है । तेराही, कछवाहा, शिवपुरके पास दूवकुन्डमें प्राचीन स्थान हैं । वालियरसे उत्तर २५ मील सुहानियों में हैं तथा उज्जैन नगरसे उत्तर ५ मील कालियादेहमें प्राचीन स्थान हैं । यह सप्रा नदी की घाटी है । यहां बहुत प्राचीन स्थान हैं ।
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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